Sunday 20 May 2012

लोकसभा में बही गंगा की धारा



पिछले दिनों गंगा के विषय पर लोकसभा में नियम 193 के तहत एक विशेष चर्चा का आयोजन हुआ. गंगा के  सांस्कृतिक, अध्यात्मिक, ऐतिहासिक महत्व और उसके प्रासंगिकता पर बहस में भाग लेने वाले सभी दलों के सदस्यों ने अपनी दलीय सीमा से परे जाकर अपना पूर्ण समर्थन जताया . गंगा के अविरलता और निर्मलता के विषय ने न केवल सारे सदन को एक सूत्र में पिरोने का काम किया बल्कि पूरब,पश्चिम, उत्तर, दक्षिण के सांसदों द्वारा गंगा में बढ़ते प्रदुषण और उसके मायके में ही बांध बनाकर समाप्त करने पर उठी चिंता ने सदन व देश  का ध्यान इस महत्वपूर्ण विषय पर दिलाया. 


एक तरफ जहां सदस्यों की तरफ से बस एक ही आवाज़ आ रही थी---
" गंगा हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता और ऐतिहासिक समृद्धि की प्रतिक है. गंगा की दुर्दशा अब सहने योग्य नहीं है. गंगा कि निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने हेतु सरकार जल्द से जल्द करवाई करे."  
                
वही दूसरी ओर केंद्र सरकार की तरफ से नकारात्मक व्यवहार और टिप्पणियां देखने को मिली . सदन में हुए चर्चा का जबाब देते वक़्त पर्यावरण मंत्री की मज़बूरी और विषय के प्रति उनकी असहायता एक बार फिर साफ़ जाहिर हुई. बांधों के प्रति उनकी दृष्टि कि --"मात्र 70 बांध बन रहे है " कहकर विषय की महत्ता और गंगा के प्रति अपने व केंद्र सरकार की उपेक्षा का भाव प्रकट किया. अगर बांध सही है तो फिर गंगा के दुर्दशा प्रति घड़ियाली आसूं बहाना कतई सही नहीं है . देश गंगा चाहता है . देश में सदियों से बहती गंगा सिर्फ नदी नहीं बल्कि जीवंत सांस्कृतिक पहचान है . करोड़ो लोग  गंगा की वजह से सुखी संपन्न है . क्या सिर्फ भौतिक और चंद लोगों के सुख सुविधा खातिर गंगा की बलिदानी दी जा सकती है ?   
   गंगा के मुद्दे पर काफी जागरूकता पिछले दिनों में देखने को मिली है फिर भी लगता है गंगा के प्रति संवेदना जगाने में अभी और प्रयासों की आवश्यकता है, लेकिन इस बहस ने इतना तो जरुर ही किया कि गंगा के विषय पर सदन के साथ साथ देश का भी ध्यान खिंचा तथा इस महत्वपूर्ण विषय पर एक राय बनाने व गंगा मैया को बचाने की दिशा में एक उच्चस्तरीय प्रयास हुआ. 
आशा है आनेवालें दिनों में गंगा को लेकर समाज और सरकार जरुर कोई प्रभावी कदम उठाएंगे. विश्वास है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर अपना सद्भाव रखने वालें लोगों के प्रयास और गंगा की अविरलता और निर्मलता के मुद्दे पर कुछ सकारात्मक करने को संकल्पित जनमानस के समर्थन से गंगा अपने पुराने स्वरुप में वापस लौटेगी ..